किसकी सुने? / Short story for kids: Very Helpful

किसकी सुने?  

Short story for kids

 

Short story for kids

एक बार जंगल में एक नया मेंढक आया। वह मेंढक काफी नेक और मेहनती था। जंगल उसके लिए काफी नया था। जंगल के लोग नहीं थे, जंगल के रास्ते थे। एक दिन जब वह जंगल में घूमने निकला तो, गलती से जंगल के एक पुराने कुएं में गिर गया।

 वह घबरा गया पर उसने हिम्मत नहीं हारी। मदद के लिए उसने आवाज लगाई। उसकी आवाज सुनकर ढेर सारे मेंढक कुएं पर इकट्ठा हो गए। उन्हें देखकर उसकी जान में जान आई। उसे नई जिंदगी की आशा दिखने लगी।

(Hindi moral story) 

अब मेंढक कुएं की दीवाल पर चढ़कर कुएं से बाहर आने की कोशिश करने लगा। थोड़ा ऊपर चढ़ते ही मेंढक कुएं में नीचे गिर जाता था। वह कई बार असफल हुआ। जैसे ही वह ऊपर चढ़ता, उसका पैर फिसल था और वापस वह पानी में गिर जाता था। 

कुएं के बाहर के मेंढक उसे समझा रहे थे की, तुम्हारी कोशिश बेकार है। अब तुम कभी भी इस कुएं से बाहर नहीं निकल पाओगे। सब चिल्ला चिल्ला कर उसे बोल रहे थे, अब इसमें से निकलना नामुमकिन है। तुम कभी सफल नहीं हो पाओगे। आज तक जो इसमें गिरा है, उसकी मृत्यु हो गई है। इसीलिए तुम भी बेकार की मेहनत करना छोड़ दो। 

(Hindi short story for kids) 

मेंढक ने हार नहीं मानी। उनकी बातें सुनकर अधिक जोश के साथ चढ़ता, फिर गिरता, फिर चढ़ता। उन सभी मेंढको की बातें कुएं में गिरे मेंढक को प्रभावित कर रही थी। वह हर बार पिछली बार से ज्यादा ऊपर चढ़ता। उसने अपनी कोशिश जारी रखी। 

कुए के बाहर के मेंढक बार-बार चिल्ला कर कह रहे थे, तुम्हारी कोशिश बेकार है। तुम नहीं कर सकते पर परिणाम उल्टा ही हो रहा था। मेंढक अब पिछली बार से ज्यादा ऊपर चढ़ने लगा था।

(Hindi short story) 

कई और सफल प्रयत्नों के बाद आखिरकार मेंढक उस कुएं से बाहर निकल आया। सभी मेंढक भागकर उसके पास आए। मेंढको ने कहा: “हम तुझे इतना चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे, तू कभी इस कुएं से बाहर नहीं निकल पाएगा। इस बात का तुझ पर असर नहीं हुआ?”

तब मेंढक बोला: “मैं बहरा हूं। मुझे सुनाई नहीं देता है। आप सब का आभार, मुझे प्रोत्साहित करने के लिए।” इतना बोल कर मेंढक अपने रास्ते चल दिया।

मेंढक सच में बह रहा था। उसे बाकी मेंढकों की बातें बिल्कुल सुनाई नहीं देती थी। जब मेंढक उसे चिल्ला चिल्ला कर कहते कि, तुम नहीं कर सकते तो, उसे ऐसा लगता था कि, मेंढक कर रहे हैं। तुम कर सकते हो और कोशिश करो। बस यही बात उसे और कोशिश करने के लिए प्रोत्साहित करती थी। मेंढकों का कुएँ पर चिल्लाना ही उसे प्रोत्साहित करता था एक और कोशिश करने के लिए।

(Hindi moral story) 

दोस्तों हमारे जीवन में भी ऐसा ही होता है। हम लोगों की बातें सुनकर अपना रास्ता बदल देते हैं। जबकि सफल इंसान ऐसा नहीं करते हैं। किसी ने क्या खूब कहा है कि, “सफल इंसान अपने फैसलों से दुनिया बदल देता है और और असफल इंसान दुनिया की वजह से अपने फैसले बदल देता है।”

(Hindi kahani) 

कुएं में गिरे बाकी जानवर इसलिए मर गए क्योंकि उन्होंने बाहर खड़े जानवरों की बातें सुनी और निराश हो गए और कोशिश करना ही छोड़ दिया। कोशिश ना करना ही सबसे बड़ी अफलता है। आप जब ऐसी परिस्थितियों में फंसे तो पूरी मेहनत के साथ कोशिश करें। अगर हारना ही है तो भी क्यों ना पूरी मेहनत के साथ, पूरी कोशिश के साथ हारा जाए। ताकि बाद में किसी बात का मलाल ना रहे।

(Moral short story Hindi) 

लोग क्या कहेंगे? इस बात को भूल कर हमें अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। अफलता में लोग कहते हैं, तू नहीं कर पाएगा पर सफल होने के बाद वही लोग कहते हैं, मैंने कहा था तू कर लेगा। दुनिया का काम है कहना कहने दो और आप अपना सफर जारी रखो।

                     

                                           – अविनाश कुमार

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